bhairav kavach Secrets

Wiki Article

उद्यद्भास्करसन्निभं त्रिनयनं रक्ताङ्गरागस्रजं

आग्नेय्यां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्डभैरवः

सर्वसिद्धिमवाप्नोति यद्यन्मनसि वर्तते ॥ २॥



पठनात् कालिका देवि पठेत् कवचमुत्तमम् । श्रृणुयाद्वा प्रयत्नेन सदानन्दमयो भवेत् ।।

किसी भी प्रकार का कोई भय नहीं होता, सभी more info प्रकार के उपद्रव शांत हो जाते है।

 

ॐ सहस्रारे महाचक्रे कर्पूरधवले गुरुः।

पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा ।

यः पठेच्छृणुयान्नित्यं धारयेत्कवचोत्तमम् ॥ २२॥





 

Report this wiki page